मंगलवार, 11 जनवरी 2022

विलीन !

 पयोनिधि, असंख्य पयस्वनी संग,

नित्य उल्लसित, आवेगीत होने वाले,

अपने दर्प में चूर तुम,

क्या जानो तटिनी....

कितने ठोकर खा बहती हैँ।

सरल,सरस,सलिल नीर लिए,
तट से बंध, रहने वाली सरी,
कब,क्यों,किस वेदना में...
तड़प,तडप कर दर्द सहती है।

अट्हास का गर्जन करने वाले पयोनिधि,
कब तुमने तरनी के तरंगों को जाना है।
विस्तरित कर सिर्फ अपना किनारा,
कहाँ तुमने उसके दायरे को माना है।

कर अपना सर्वस्व न्योछावर,
सरी ने खुद को विलीन किया ।
फिर भी  छलकते तरंगिनि के
दर्द को  क्या तुमने पहचाना है।

खुद ही पथ बना कर चलती,
पग पग  पर  तृप्त सभी को करती
पत्थर तट पर सर,पटक पटक
तटिया भी तो थकती है।
कर पापों को सबके साफ,
खुद मलिन रहना ही तो सरी की नियति है।

बाढ़, सूखे का दंश सहती
सारे दुख दर्दों को समेटे,
गंगा,यमुना,सरस्वती जो भी हो नदिया.....
अपने दर्द को किससे बांटे ,

जलनिधि के लिए  सिर्फ एक धार ही है वो।
न कोई मान, न मर्यादा,
नद की ना है अस्तित्व कोई....
सुख कर धूल धूसरित हो,
मिट्टी में मिल जाना ....
और सागर में समा जाना है
तट से बंधी.  . जन्म से, तटिनी को,
हो जलधि में ....विलीन जाना है..
.....विलीन हो जाना है।।
                   पूनम😑

मंगलवार, 10 अगस्त 2021

ख्वाहिश

सूरज की रोशनी तले,जीते हुए, 

चांद भी तो निरा अकेला है।

 रंगीन ख्वाबों तले सब मन अकेला है, 

शराफत के चादर तले हर इंसान नंगा है। 

 बस ख्वाहिश है ये ख़ुदा, 

तन से तो नंगा बनाया ही है तूने, 

बस मन और भावों से नंगा मत बनाना। 

हर चमकता चीज सोना नहीं होता, 

बस इतनी समझ दे दो।  

ऐसा ना हो कि दूर के सुहावने ढोल के चक्कर में, 

अपना राग भी टूट जाए। ।

     पूनम 🤗


शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

मन औऱ मौसम

फूल खिलते तो है,
पर मुरझाए से
तितलियां उड़ती तो हैं,
सुस्त सी,
धूप भी खिलती है,
पर मंद सी
बादल भी आते हैं,
पर शुष्क से।
सावन भी आया तो है,
पर  है सिर्फ बेचैनी सी।
क्या मौसम ही ऐसा है।
या दिल में हैं दर्द सी।

            पूनम 😐

शनिवार, 17 जुलाई 2021

बात ना बनी ।।

ज आओ ना जानम

बना लें बिगड़ी बात, 

करें बातें दिल खोकर।

दिन कितने हो गए

किए, एक वो बात,

जब होता था ना कोई राज

जाओ सनम ,
कर लें बातें मन भर।

हो जाएं एकाकार 

बस यही तो कहा था मैंने
जाने  क्या हुआ  ऐसा ,


बदल दिए उसने अपने अंदाज,
बं ना  हो पाई मेरी आंख 

हमेशा हमेशा के लिये 
छोड़ दिया मेरा साथ .....नींद ने ।।

         पूनम 😐

रविवार, 16 मई 2021

खयाल

 

रिश्ता हमारा भी बेहद अनमोल था,
रखा था हमने एक दूजे का पूरा ख्याल
फर्क़ सिर्फ इतना था........
मेरे ख़यालों में सिर्फ और सिर्फ वो था ,
और उसके ख़यालों में, मैं ही ना थी।।

                                 पूनम😬

गुरुवार, 20 जून 2019

बेघर !!


चले जा रहे है....

कहाँ ?
पता नही.....
किसी ने पूछा?
घर जा रहे हो,
घर....कैसा घर,
घर क्या सिर्फ
चार दीवार होते हैं।
जहां,सिर्फ सनाटा,
खड़े चार दीवार ,
फिर भी चारों अकेले
वृहद खालीपन,
 बेटी ने कहा ,
मेरे 'घर'आ जाओ...
पति ने कहा,...
मेरे घर आ जाओ...
फिर कानों में जोरदार गूँज,
घर, मेरा घर कहां.......
 घर को चलाते,चलाते
मैं बेघर...........
नहीं है कोई घर मेरा !!
जा रही फिर क़ैद में चार दीवारों  की।।
                   पूनम🤔

सोमवार, 18 जून 2018

आपने फुरसत में आने का बहाना जो शुरू किया,

ख्वाबों ने भीे नींद का आशियाना छोड़ दिया ।।

                                           पूनम💗

तट

तोड़ते रहे तुम बंदिशें , और समेटती रही मैं,  बारंबार ! की कोशिश जोड़ने की, कई बार ! पर गई मैं हार , हर बार ! समझ गई मैं, क्यु हूँ  बेकरार ! ...