रिश्ता हमारा भी बेहद अनमोल था,
रखा था हमने एक दूजे का पूरा ख्याल ।
फर्क़ सिर्फ इतना था........
मेरे ख़यालों में सिर्फ और सिर्फ वो था ,
और उसके ख़यालों में, मैं ही ना थी।।
पूनम😬
तोड़ते रहे तुम बंदिशें , और समेटती रही मैं, बारंबार ! की कोशिश जोड़ने की, कई बार ! पर गई मैं हार , हर बार ! समझ गई मैं, क्यु हूँ बेकरार ! ...
अभिनंदनम! स्वागतम पूनम जी। अर्से बाद आपके ब्लॉग पर। हलचल से अपार हर्ष हुआ। मन के भावों को प्रदर्शित करती पंक्तियां गागर में सागर है। आशा है आप ब्लॉग पर नियमित रहेंगी। इस संक्रमण काल में आपकी सरिवार कुशलता की कामना करती हूं,,🙏🌷🌷❤️💐🌷
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