बुधवार, 22 जून 2022

काक - पिक !!


 

कोयल  की मधुर  तान सुनने के लिए कौए को बचाना होगा!
सुन कर लगा ना कुछ अटपटा सा,.......कहाँ कर्कश कौए और मधुर  सुरीली गाने वाली कोयल। कोयल की धुर तान  सुनने  को तो सब आतुर  रहते हैं। पर कौए बेचारे को हम देखते  ही कांग भरने लगते हैँ। पर जो दिखता  है ,और हम जो सुनते हैं, वो सदैव सत्य  नहीं होता  है।
बहुतों  को पता भी नहीं  होगा की  कोयल  अपने प्रजनन  के लिए यानी  अंडे देने के लिए हमेशा कौए  पर निर्भर  करती है।

रोचक हिस्सा यह है कि कौए व कोयल का प्रजनन काल एक ही होता है। इधर कौए घोंसला बनाने के लिए सूखे तिनके वगैरह एकत्र करने लगते हैं और नर व मादा का मिलन होता है और उधर नर कोयल की कुहू-कुहू सुनाई देने लगती है। नर कोयल अपने प्रतिद्वंद्वियों को चेताने व मादा को लुभाने के लिए तान छेड़ता है। घोंसला बनाने की जद्दोजहद से कोयल दूर रहता है।

कोयल कौए के घोंसले में अंडे देती है। कोयल के अंडों-बच्चों की परवरिश कौए द्वारा होना जैव विकास के क्रम का नतीजा है। कोयल ने कौए के साथ ऐसी जुगलबंदी बिठाई है कि जब कौए का अंडे देने का वक्त आता है तब वह भी देती है। कौआ जिसे चतुर माना जाता है, वह कोयल के अंडों को सेता है और उन अंडों से निकले चूज़ों की परवरिश भी करता है।

अपने जितने अंडे वो उस घोसले में रखती है कौवे के उतने ही अंडों को खाकर या नीचे गिराकर नष्ट कर देती है जिससे कि कौवे को शक न हो। कोयल अपने अंडे रोक पाने में सक्षम होती है और इस तरह वह कौवों के एक से अधिक घोसलों में अंडे देती है।

तो  बात आई अब समझ में कि परजीवी  कोयल की तान सुनने के लिए कर्कश कौए को संरक्षित  करना क्यूँ बहुत आवश्यक है। । प्रत्येक  जीव  की अपनी  अहमियत  है।

रहीम  तो  सही कहते हैं. ....

दौनो रहिमन एक से, जौ लौ बोलत नाही|
जान परत है काक पिक, ऋतु बसत के माहि|

पर ये भी सही है. ....

किराये के संगीत पर,
कोवे की कांव कांव भी मधुर हो जाती  है। ।

सोमवार, 6 जून 2022

तमन्ना ए दिल

 

ख्वाहिशें ना होतीं.....
जो दिखाये होते 
तुमने, हर एक हसीन ख्वाब ।।

लालसा ना होती....
जो पूरे ना करते 
तुम, मेरी हएक अरमान। ।

हसरतें ना पालते.....
जो थामा ना होता, 
हर पग पर,   तेरी बाहों ने।।

दर्दे दिल ना तड़पता,.....
जो किया ना होता 
तुमने, कभी मुझसे अनुराग। ।

इश्क ए दास्ताँ की ये हश्र ना होती.....
जो वादा ना किया होता,
तुमने, साथ चलने का क़यामत तक ।।

ब तमन्ना इतनी सी है होती,......
हर पल, हर जगह ,
जब आ आख़िरी साँस,
प्रभु, सिर्फ तुम्हें देखूँ,
सिर्फ तुम्हें देखूँ।








गुरुवार, 2 जून 2022

वक़्त

 वक़्त वक़्त की बात है ……

एक मौलवी साहब थे ।

एक दिन मुर्ग़ा बेचने वाला आया ,मौलवी साहब के पोते ने कहा दादा दादा मुर्ग़ा ले दो ।दादा ने पूछा क्या भाव, मुर्ग़े वाले ने कहा, टके सेर बाबा।दादा की अण्टी में उस वक़्त एक टका ही था ।। दादा ने तुरंत कहा ,तौबा मियाँ , तौबा ये तो बहुत महँगा है ।

कुछ महीनों  के बाद फिर मुर्ग़े वाले को देख पोता मचला । मुर्ग़े वाले ने कहा,५ रुपए सेर…..। पोते  ने सोचा आज तो बिल्कुल ही नहीं ख़रीदेगा दादा।लेकिन,दादा तो ख़ुश हो कर बोला अरे ले लो ,ले लो बड़ा सस्ता दे रहा है…. पोता आश्चर्य से दादा को देखता है । दादा पैसे देने लगा… आज दादा की अंटी में १० रुपए हैं…….।।

बुधवार, 1 जून 2022

आदत !!

 बचपन मे एक कहानी सुनी थी......

दो चिड़िया थे। 

एक को पिंजरे मे रहने की आदत थी और दूसरे को उन्मुक्त आकाश में कुलांचे भरने की।  दोनों मे प्यार हो गया। बहुत प्यार करते थे  दोनों एक दूसरे से। उन्मुक्त गगन में विचरने  वाले को पिंजरा कतई रास ना आता और पिंजरे में रहने वाली ने तो अब अपना घर बसा ही लिया था.......

     ना उसने आकाश छोड़े, ना उसने  पिंजरा......😑

 

तट

तोड़ते रहे तुम बंदिशें , और समेटती रही मैं,  बारंबार ! की कोशिश जोड़ने की, कई बार ! पर गई मैं हार , हर बार ! समझ गई मैं, क्यु हूँ  बेकरार ! ...