फूल खिलते तो है,
पर मुरझाए से ।
तितलियां उड़ती तो हैं,
पर सुस्त सी।,
धूप भी खिलती है,
पर मंद सी ।
बादल भी आते हैं,
पर शुष्क से।
सावन भी आया तो है,
पर है सिर्फ बेचैनी सी।
क्या मौसम ही ऐसा है।
या दिल में हैं दर्द सी।
पूनम 😐
तोड़ते रहे तुम बंदिशें , और समेटती रही मैं, बारंबार ! की कोशिश जोड़ने की, कई बार ! पर गई मैं हार , हर बार ! समझ गई मैं, क्यु हूँ बेकरार ! ...
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