आज सुधाकर भी कितना प्यारा है,
रोज रोज आसमान के झरोखे से,
झाँकने वाले निशापति का,
है सबको इंतजार आज ।
राह में बैठे हैं,
टकटकी लगाए हजार।
हर पिया को हो रहा है
तुझसे रश्क मयंक,
उनकी अर्धांगनियाँ ,
कर रहीं सिर्फ, तुम्हे याद विधु।
पूनम का चाँद ,
तड़पाये,
प्रेमियों के दिल में,
ज्वार भाटा जगाए।
दूज का शशि नटखट बन,
बड़ी मुश्किल से झलक दिखलाये।
चौथ के चंदा में पिया को तलाशे,
आशा की किरण जलाए।
तुम्हीं तो राकेश!
ईद में बहार लाये।
है यही वो चंदा....जो
चौदहवीं की प्रियतमा बन जाये।
निशापति! तू ही तो साक्षी है,
हर किसी के प्यार का,
मनुहार का,नखड़े का, दुलार का,
दूर बैठे दो दिलों के दर्द का।
हमदर्द भी तो तुम ही हो शशांक ,
और दर्द को सहलाने वाला
भी तो है यही शशि।
राकेश! तेरे कितने रूप?
करते हो तुम विश्व के दिल पे
राज! हे ,कलानिधि
तेरी है अपरम्पार परिधि।।
पूनम🌔
रोज रोज आसमान के झरोखे से,
झाँकने वाले निशापति का,
है सबको इंतजार आज ।
राह में बैठे हैं,
टकटकी लगाए हजार।
हर पिया को हो रहा है
तुझसे रश्क मयंक,
उनकी अर्धांगनियाँ ,
कर रहीं सिर्फ, तुम्हे याद विधु।
पूनम का चाँद ,
तड़पाये,
प्रेमियों के दिल में,
ज्वार भाटा जगाए।
दूज का शशि नटखट बन,
बड़ी मुश्किल से झलक दिखलाये।
चौथ के चंदा में पिया को तलाशे,
आशा की किरण जलाए।
तुम्हीं तो राकेश!
ईद में बहार लाये।
है यही वो चंदा....जो
चौदहवीं की प्रियतमा बन जाये।
निशापति! तू ही तो साक्षी है,
हर किसी के प्यार का,
मनुहार का,नखड़े का, दुलार का,
दूर बैठे दो दिलों के दर्द का।
हमदर्द भी तो तुम ही हो शशांक ,
और दर्द को सहलाने वाला
भी तो है यही शशि।
राकेश! तेरे कितने रूप?
करते हो तुम विश्व के दिल पे
राज! हे ,कलानिधि
तेरी है अपरम्पार परिधि।।
पूनम🌔