बिटिया पे तो सब लिखें
बहू पे लिखे नहीं कोई।
बेटी बन सुख तो जन्म का,
कर्म का सुख लो बहू बन।
सब कहे बेटी होती है पराई,
पर बहू बन उसने क्या नही पाई।
बहू से तो घर चले,बढ़े परिवार
बने समाज -संसार।
जन्म देने वाले माँ-बाप से दूर गई
उससे कंही बढ़ कर्म के माँ बाप पाई,
बहू को 'बहु' मिलेगा,प्यार, दुलार
और बहन समान ननद और देवर भाई।
हां शुरू में कुछ नया,कुछ अजनबीपन,
पर हरदम साथ होगा हमदम,
जिसके प्यार के दम पे
सबसे लगने लगेगा अपनापन।
बहू ये तेरी कर्मभूमि है,
जीत लो सब के दिल को
बस जाओ घर के हर कोने में।
सासुमाँ और माँ भी ऐसे ही
एक दिन बहू बन कर आई।
पहले सिर्फ तुम बेटी थी,बहन थी
अब बनी बहू,पत्नी और भौजाई।
बहू ही वो धुरी है ,
जिसके इर्द गिर्द
सारी दुनिया समाई।।
पूनम😍
बहू पे लिखे नहीं कोई।
बेटी बन सुख तो जन्म का,
कर्म का सुख लो बहू बन।
सब कहे बेटी होती है पराई,
पर बहू बन उसने क्या नही पाई।
बहू से तो घर चले,बढ़े परिवार
बने समाज -संसार।
जन्म देने वाले माँ-बाप से दूर गई
उससे कंही बढ़ कर्म के माँ बाप पाई,
बहू को 'बहु' मिलेगा,प्यार, दुलार
और बहन समान ननद और देवर भाई।
हां शुरू में कुछ नया,कुछ अजनबीपन,
पर हरदम साथ होगा हमदम,
जिसके प्यार के दम पे
सबसे लगने लगेगा अपनापन।
बहू ये तेरी कर्मभूमि है,
जीत लो सब के दिल को
बस जाओ घर के हर कोने में।
सासुमाँ और माँ भी ऐसे ही
एक दिन बहू बन कर आई।
पहले सिर्फ तुम बेटी थी,बहन थी
अब बनी बहू,पत्नी और भौजाई।
बहू ही वो धुरी है ,
जिसके इर्द गिर्द
सारी दुनिया समाई।।
पूनम😍
3 plus ones
वाह !!!!!!! आपने हर बहु की दुखती रग को पकड लिया है आदरणीय पूनम जी | सचमुच बिटिया पर हर कोई लिखना चाहता है -पर बहु जो अनजान घर और माहौल में आकर अनजान लोगों के लिए बहुत कुछ करती है उन्हें स्नेह से अपनाती है उसे समाज में कभी वो दर्जा नहीं मिला जिसकी वो हकदार है | पर नारी की इस अतुलनीय भूमिका का कोई सही मूल्याङ्कन नहीं कर पाया है |
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