हर पल निहारती रही तुम्हें
और यूँ ही कह दिया ,कभी तुमपे ध्यान ना दिया
अरे कभी देखो मेरी तरफ ;
अरे कभी देखो मेरी तरफ ;
तब न जानो,क्या होती है तड़प।।
ढूंढती रही वो प्यार भरी नजरें तुम्हारी,
अक्सर दिख जाया करती जो तुम्हारे चेहरे पे,
किसी गैर के लिए।।
कई बार बड़ी आरजू भी की....
जानम, तड़प है सिर्फ उन प्यारी नजरों की,
ढूंढती रही वो प्यार भरी नजरें तुम्हारी,
अक्सर दिख जाया करती जो तुम्हारे चेहरे पे,
किसी गैर के लिए।।
कई बार बड़ी आरजू भी की....
जानम, तड़प है सिर्फ उन प्यारी नजरों की,
हटते नहीं थे कभी जो मेरे चेहरे से,
खुद को मानती थी मैं नसीबों वाली।
खुद को मानती थी मैं नसीबों वाली।
तलाशते रह जाती उन नजरों को,
भावनाओं से जो लबरेज,छू जाती थीं,
भावनाओं से जो लबरेज,छू जाती थीं,
मेरे रूह को।।
आदत भी तो तुमने ही बिगाड़ा है साहेब,
समेटे हरवक्त अधरों में, लिपटाया है सनम।
पलक झपकने को भी, न होने देते थे ओझल।
तरसूं उन नजरों के लिए, हूँ मैं बोझिल ।
पल भर भी गंवारा नहीं,
तुम बिन साजन!
पर परवाह नहीं
तुम्हे उन लमहों का,
अब कोई।
रही यही मन्नत मेरे उल्फत!
खुश रहो सदा
बसा कर बस निगाहों में अपनी,
आदत भी तो तुमने ही बिगाड़ा है साहेब,
समेटे हरवक्त अधरों में, लिपटाया है सनम।
पलक झपकने को भी, न होने देते थे ओझल।
तरसूं उन नजरों के लिए, हूँ मैं बोझिल ।
पल भर भी गंवारा नहीं,
तुम बिन साजन!
पर परवाह नहीं
तुम्हे उन लमहों का,
अब कोई।
रही यही मन्नत मेरे उल्फत!
खुश रहो सदा
बसा कर बस निगाहों में अपनी,
निहारती रहूँ ...............
दूसरों को निहारती,
प्यार भरी नजरों को तुम्हारी!
पूनम💛
दूसरों को निहारती,
प्यार भरी नजरों को तुम्हारी!
पूनम💛
one plus one
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