बुधवार, 6 सितंबर 2017

तुम्हारे बिना !!



मैंने भी सीख लिया है,
जीना! तुम्हारे बिना।
हर पल और रात दिन,
बिताना! तुम्हारे बिना।

खुश तो बहुत हो तुम
अपनी दुनिया में,
मेरे बिना।
सीख लिया है मैंने भी,
खुशी में तुम्हारी,
खुश होना! तुम्हारे बिना।

हर सुख- दुख में सीख गए
खुद को बहलाना,
आ गया अब रोकना
आँसूओं का बहना,
सीख गए गम को,
पीना! तुम्हारे बिना।

सपने भी आने लगे,
नींद भी आने लगी
सीख गए जाग-जाग कर,
सोना! तुम्हारे बिना।

बातें तो बहुत थीं
जज्बात भी बहुत थे
सीख गए निःशब्द बात
करना! तुम्हारे बिना।

बिता दी जिसकी ,
याद में जिंदगी,
आई ना उसे याद,
हमारी कभी
सीख गए मर-मर कर
जीना! तुम्हारे बिना।

जंग लोहे में लगती है
मिट्टी में नहीं
फौलादी कठोर बनो तुम,
हम क्यों बुने ताना- बाना
मैं तो मिट्टी की बनी
मिट्टी में ही मिल ,
जाना ! तुम्हारे बिना।

नजरों की तुम्हारी तुच्छ मैं
सिख गई सर उठा कर ,
चलना ! तुम्हारे बिना।
मैंने भी सीख लिया है
जीना! तुम्हारे बिना।।
पूनम😶

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