क्या कहूँ हालें बयान दिल का
सुबक सुबक,कसक कसक
धड़क धड़क,तड़प तड़प
छटपटात भरपूर
क्योंकि इसे समझने वाला
बैठा है बहुत दूर।
दिन गुज़र जाता है
गाहे बगाहे जरूरत में,
रातें होती है इतनी लंबी
काटें नहीं कटती,
यही है फितरत में।।
सोचा था.....
देखे थे सपने।
होंगे सिर्फ मैं और तुम
एक दूसरे के बांट लेंगे
हर खुशी और गम ।।
पल भर भी ना जाएंगे
एक दूजे से कंहीं दूर।।
एक सुर होगा,एक ताल होगी
एक ही लय होगी,दिल के धड़कनों की
आंखें हीं समझ लेंगी बातों को,
ना काम होगा जुबान की।
पर क्या पता था, सपना तो सपना होता है
हकीकत में ये सब मुमकिन ना होता है।
सुबक सुबक,कसक कसक
धड़क धड़क,तड़प तड़प
छटपटात भरपूर
क्योंकि इसे समझने वाला
बैठा है बहुत दूर।
दिन गुज़र जाता है
गाहे बगाहे जरूरत में,
रातें होती है इतनी लंबी
काटें नहीं कटती,
यही है फितरत में।।
सोचा था.....
देखे थे सपने।
होंगे सिर्फ मैं और तुम
एक दूसरे के बांट लेंगे
हर खुशी और गम ।।
पल भर भी ना जाएंगे
एक दूजे से कंहीं दूर।।
एक सुर होगा,एक ताल होगी
एक ही लय होगी,दिल के धड़कनों की
आंखें हीं समझ लेंगी बातों को,
ना काम होगा जुबान की।
पर क्या पता था, सपना तो सपना होता है
हकीकत में ये सब मुमकिन ना होता है।
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