तुम कवि
मैं कविता
मैं रचना
तुम रचयिता।
हर पंक्ति में मैं,
हर छंद में मैं।
हर ताल में मैं,
हर लय में मैं।
दिलकश बतकही,
हर रोज कही,
भाये हर मन को
पर क्या सब सही-सही।।
तेरे मन के भाव कविता,
कविता के भावों का क्या!
तेरी हर खुशी ,
हर उच्छ्वास कविता,
कविता के हमदर्द का क्या।
कवि हृदय है भावों का समुंदर,
अनुराग-विराग भरा उसके भीतर,
फिर भी समझता क्या
कविता के अन्तर्मन को,
कभी बनाता क्या उसके ऊसर को उर्वर।
कवि की इच्छा,
कविता की अनिच्छा
ये कैसे रचित होगा।
रचनाकार और रचना तब
दोनों ही व्यथित होगा।
मिल बैठेंगे दोनों संग
तब ही सच्चा कवित्व होगा।
तुम कवि ......
मैं कविता
बन जाएं एक दूजे के रचयिता।।
पूनम💕
मैं रचना
तुम रचयिता।
हर पंक्ति में मैं,
हर छंद में मैं।
हर ताल में मैं,
हर लय में मैं।
दिलकश बतकही,
हर रोज कही,
भाये हर मन को
पर क्या सब सही-सही।।
तेरे मन के भाव कविता,
कविता के भावों का क्या!
तेरी हर खुशी ,
हर उच्छ्वास कविता,
कविता के हमदर्द का क्या।
कवि हृदय है भावों का समुंदर,
अनुराग-विराग भरा उसके भीतर,
फिर भी समझता क्या
कविता के अन्तर्मन को,
कभी बनाता क्या उसके ऊसर को उर्वर।
कवि की इच्छा,
कविता की अनिच्छा
ये कैसे रचित होगा।
रचनाकार और रचना तब
दोनों ही व्यथित होगा।
मिल बैठेंगे दोनों संग
तब ही सच्चा कवित्व होगा।
तुम कवि ......
मैं कविता
बन जाएं एक दूजे के रचयिता।।
पूनम💕
अनुरागी मन की सुंदर कामना और कोमल शब्दावली ------- बहुत अनुपम योग बना है दोनों का | पढने में भी कितने मधुर लग रहे हैं -----
जवाब देंहटाएं-मिल बैठेंगे दोनों संग
तब ही सच्चा कवित्व होगा।
तुम कवि ......
मैं कविता
बन जाएं एक दूजे के रचयिता।।-------- बहुत सुंदर !!!!!!!!!!!!
सादर ,सस्नेह -----------------------
इतना प्यार छलकाती कविता ! काव्यात्मक जुगलबंदी का अपना रोचक संसार होता है. शिकवे-शिक़ायत भी फिर शेरो-शायरी में ही हुआ करते हैं.
जवाब देंहटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंसबसे पहले आप दोनों को मतलब आपके साथ विश्वमोहन जी को भी अनंत बधाई आपकी वैवाहिग वर्षगांठ के लिए । भावपूर्ण कवि की कविता पढ़ चुके हैं । शुभकामनाएँ कि यूँ ही कविता बनी रहें । 🌷🌷🌷🌷🎂🍿
जवाब देंहटाएंपार्टी तो अब शुरू हुई है।
आपके इस अति मधुर, स्नेहासिक्त आशिर्वाद के लिए बहुत बहुत धन्यावाद। 🙏🙏
हटाएं