तुम कवि
मैं कविता
मैं रचना
तुम रचयिता।

हर पंक्ति में मैं,
हर छंद  में मैं।
हर ताल में मैं,
हर लय में मैं।

दिलकश बतकही,
हर रोज कही,
भाये हर मन को
पर क्या सब सही-सही।।

तेरे मन के भाव कविता,
कविता के भावों का क्या!
तेरी हर खुशी ,
हर उच्छ्वास कविता,
कविता के हमदर्द का क्या।

कवि हृदय है भावों का समुंदर,
अनुराग-विराग भरा उसके भीतर,
फिर भी समझता क्या
कविता के अन्तर्मन को,
कभी बनाता क्या उसके ऊसर को उर्वर।

कवि की इच्छा,
कविता की अनिच्छा
ये कैसे रचित होगा।
रचनाकार और रचना तब
दोनों ही व्यथित होगा।
मिल बैठेंगे दोनों संग
तब ही सच्चा कवित्व होगा।
तुम कवि ......
मैं कविता
बन जाएं एक दूजे के रचयिता।।
पूनम💕