शनिवार, 26 अगस्त 2017

समय बलवान तो सब मेहरबान


थोडी तो शर्म करो
ये समय,कुछ तो रहम करो

तुम बलवान हो,
कभी भी करवट बदल सकते हो
आसमां से गिरा
जमींदोज कर सकते हो।
अपने दर्प में इतने ना
हो जाओ चूर
की सब कहने लगें
तुम्हे मग़रूर।
थोडी तो शर्म करो
ये समय,कुछ तो रहम करो।

साथ नहीं तुम ,
उसका कुछ भी नहीं।
दर्द में ,दुख में
अकेला बिलखता छोड़ ,
हर तड़प पर
तुम होते हो बहुत खुश
इतना भी ना तुम्हें इल्म,
करते हो कितना जुल्म।
थोड़ी तो शर्म करो
ये समय, कुछ तो रहम करो।।

इतनी भी क्या बेरुखी,
खुश होते देख हमें
होते तुम दुखी।
तुमसे बस अपने साथ
चलने की,
चाह रखी थी।
थोड़ी सब्र,थोड़ी कद्र
के थे अरमान,
और तो नहीं थे कोई फरमान।
थोड़ी तो शर्म करो
ये समय, कुछ तो रहम करो।

हर हाल में,हर काम में
सफलता चूमे कदम,
जिसपे तुम मेहरबान,
उसका हर काम आसान’।
थोड़ी तो शर्म करो
ये समय,कुछ तो रहम करो।।

बस इतना है भरोसा
ये 'समय' आएगा तेरा भी समय,
जब कोई ना होगा तेरे साथ
जिनपे आज तुम्हें गुमान
उन्हें कल ना होगी तुम्हारी भान।
तुम भी अकेले टिक -टिक
चलते रहना,
राह तकते रहना
तब शायद याद आये तुम्हें
हमारा ये अवसाद

जो गिराये तुमने गाद।
थोड़ी तो शर्म करो
ये समय, कुछ तो रहम करो।।
पूनम💖

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