सोमवार, 28 अगस्त 2017

गीता वाणी!!




स्वयं रणछोड ने ,
रण छोड़ने को आतुर पार्थ को,
गीता की वाणी में समझाया,
मानव धर्म अपनाने को उकसाया।
सत्व,रज ,तम तीन गुणों को
अच्छे से बतलाया।।

सत्व गुण है सुख का श्रृंगार
राजो गुण आसक्त कर्म का आहार
तमो गुण किसी के दुत्कार फलस्वरूप
ढक देता है ज्ञान को
बढ़ जाता प्रमाद और अहंकार।

उतपन्न हुआ जब देह में विवेक
इंद्रियों में आई चेतनता,
खिल खिल आये सारे गुण
कहलाये ये सत्व गुण।।

बढ़े जब राजो गुण,
लोभ,मोह,कर्मों में आसक्ति आये
विषय भोग की लालसा बढ़ जाये
सकाम भाव से कर्मों का प्रारंभ
मन को अशांति दिलाये।।

तमोगुण का आया काल,
विनाश काले विपरीत बुद्धि
होता सर्व नाश।
हुआ अंतः करण में अप्रकाश,
इंद्रियों का बढा प्रमाद
और निद्रा हो गई नाश।
क्षति न हूई दूजे की
हूआ स्व विनाश ।।
पूनम✍

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