अश्क न ढलके नयनों से
लहरें आये कितनी मन के समंदर में
पाया है हमने जिया ऐसा
ढूंढते रह जाओगे मेरे जैसा।
कहते हैं कोमल हृदया ,कोमलांगी,
अर्धांगनी सिर्फ एक की
पर बोझ तो उठाना हैं ,
हर बेबसी की
तुम कहाँ से लाओगे दिल ऐसा
ढूंढते रह जाओगे मेरे जैसा
गम की पोटली छिपा हृदय तल में
खुशियों का चादर बिछाती,
निराश नयनों के तालाब में
आशा के पंकज खिलाती,
मानो प्राची की लालिमा हो ऐसा
ढूंढते रह जाओगे मेरे जैसा।
लहरें आये कितनी मन के समंदर में
पाया है हमने जिया ऐसा
ढूंढते रह जाओगे मेरे जैसा।
कहते हैं कोमल हृदया ,कोमलांगी,
अर्धांगनी सिर्फ एक की
पर बोझ तो उठाना हैं ,
हर बेबसी की
तुम कहाँ से लाओगे दिल ऐसा
ढूंढते रह जाओगे मेरे जैसा
गम की पोटली छिपा हृदय तल में
खुशियों का चादर बिछाती,
निराश नयनों के तालाब में
आशा के पंकज खिलाती,
मानो प्राची की लालिमा हो ऐसा
ढूंढते रह जाओगे मेरे जैसा।
गम की पोटली छिपा हृदय तल में
जवाब देंहटाएंखुशियों का चादर बिछाती,
निराश नयनों के तालाब में
आशा के पंकज खिलाती,
मानो प्राची की लालिमा हो ऐसा
ढूंढते रह जाओगे मेरे जैसा।
...........बेहतरीन बिम्ब भावों के साथ अद्भुत तारतम्य में. बधाई पुनामजी.